sarso fasal काले सोने के नाम से करौली में पैदा होने वाली सरसों की फसल में इन दिनों लीफ माइनर मतलब कीट रोग ने किसानों की चिंता बढ़ा रहा है. करौली के अधिकांश क्षेत्रों में सरसों की फसल में रोग का प्रकोप बढ़ने से किसानों को फसल की चौपट होने की चिंता अधिक सताने लगी है. बता दें कि सरसों की फसल में लीफ माइनर नामक रोग जिसे सुरंग वाला रोग कहा जाता है और ये सबसे अधिक सरसों के पत्ते पर अपना प्रकोप बढ़ाते हुए एवं फिर सरसों के दाने पर असर डालता है.
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इससे इस रोग के लगने से कहीं ना कहीं फसल में काफी अधीक नुकसान का भी किसान को सामना करना पड़ सकता है. अगर समय रहते हुए फसल की इस बीमारी का इलाज नहीं करें तो यह पूरी फसल को नस्ट कर सकती है. लेकिन, ऐसे में किसानों को चिंतित होने अथवा घबराने की आवश्यक नहीं है वह इस विधि का उपयोग कर फसल के इस रोग से निजात पा सकते हैं.
फसल की बुआई से लेकर कटाई तक रहता है इसका प्रकोप
sarso fasal कृषि विभाग करौली के संयुक्त निदेशक B. D. SHARMA के मुताबिक, इन दिनों सरसों की फसल में लीफ माइनर नामक रोग लगा हुआ है. इसका प्रकोप फसल की बुआई से लेकर फसल की कटाई तक रहता है. ये कीट पत्तियों में सुरंग बनाकर ऊतकों को खाता है. इससे सरसों की पत्तियों में सफेद लाइन बन जाती है अथवा क्लोरोफिल नहीं बन पाता है जिसके कारण से फसल का उत्पादन कम हो जाता है अथवा सरसों का दाना कमजोर बनने के साथ ही तेल की मात्रा भी कमी आ जाती है.
sarso fasal यह हैं इस कीट की पहचान
शर्मा के अनुसार ये कीट दिखने में छोटी मक्खी जैसा होता है, जों अपना अंडा पत्तियों की ऊपरी सतह पर छोड़ देता है. वहीं, इससे निकलने वाले छोटे कीट पत्तियों में सुरंग बना देते हैं अथवा फिर पत्तियों में सर्पाकार धारियां बन जाती हैं.
किसान ऐसे कर सकते हैं उपचार
sarso fasal संयुक्त निदेशक B.D.SHARMA ने बताया कि इस कीट के प्रकोप को नस्ट करने के लिए डाइमेथोएट 1 एमएल प्रति लीटर, लेम्ड़ासाइहेलोथी 1 लीटर प्रति एमएल, साइबरमैथ्रीरीन 1 एमएल प्रति लीटर पानी में घोलकर स्प्रै करें. अथवा फैनवेलरेट पाउडर 6 किलो प्रति बीघा बिखराओ इस कीट के प्रकोप पर करें.